ग़ालिब ने ऊँची आवाज में अर्ज किया......

मिर्ज़ा ग़ालिब कमरतोड़ महगाई और गरीबी से तंग आकर डाकू बन गए और डकैती करने एक बैंक गए , . . बैंक में घुसते ही हवाई फायर करते हुए ” अर्ज़ किया – . “तक़दीर में जो है वही मिलेगा, हैंड्स-अप कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा…!! . . ग़ालिब ने फिर ऊँची आवाज में अर्ज किया – . “बहुत कोशिश करता हूँ उसकी यादों को भुलाने की, ध्यान रहे कोई कोशिश न करना पुलिस बुलाने की…” . . फिर कैशियर की कनपटी में बंदूक रखते हुए से कहा- . “ए खुदा तूं कुछ ख्वाब मेरी आँखों से निकाल दे, जो कुछ भी है, जल्दी से इस बैग में डाल दे…” . . कैश लेने के बाद ग़ालिब ने लाकर की तरफ इशारा करके कैशियर से कहा – . “जज्बातों को ना समझने वाला इश्क क्या सम्हालेगा लाकर का पैसा क्या तेरा अब्बू बाहर निकलेगा ..” . . जाते जाते एक और हवाई फायर करते अर्ज किया – . . “भुला दे मुझको क्या जाता है तेरा, मार दूँगा गोली जो किसी ने पीछा किया मेरा…”